orphan home |
हे भगवान! अनाथ है ये बच्चा. अनाथ का नाम सुनकर हर किसी के दिमाग में सबसे पहले यही आता है कि दूर रखो इस बच्चे को, पता नहीं किसका गंदा खून है, कौन सी जाति का है, कौन से धर्म का है, इसके मां बाप कौन है इत्यादि..
क्यों..... क्यों..... क्यों.....
क्यों दिमाग में सबसे पहले यही बात आती है. क्या यह बच्चा इंसान नहीं है. इसमें उस बच्चे का क्या कसूर जो अनाथ है, उसे क्या पता कि मैं अनाथ हूं, इस बच्चे को तो यह भी नहीं पता कि मुझे पैदा होने के बाद में अनाथ का नाम दे दिया जाएगा. ऐसे बच्चों को हीन भावना या दया की भावना से देखा जाता है, ऐसी सोच रखने वाले लोगों के लिए एक सवाल है. क्या उनके बच्चों के अंदर खून होता है और अनाथ बच्चों में पानी होता है? जी नहीं जो खून आपके बच्चों में बहता है वही खून उन बच्चों में भी रहता है, तो फर्क क्यों! उनके अंदर भी भावनाएं हैं जज्बात है वह भी सपने देखते हैं फिर अपने बच्चे अच्छे और अनाथ बच्चे बुरे कैसे हो सकते हैं,मैंने खुद काफी लोगों से बात करके यह जाना कि अगर किसी के घर में संतान नहीं है और अगर उनसे अनाथ आश्रम से एक बच्चा गोद लेने को कहा गया तो बदले में जवाब मिला कि नहीं नहीं अनाथ बच्चों को गोद लेने से अच्छा हम बिना औलाद ही अच्छे हैं पता नहीं किसका खून होगा किस वंश का होगा धर्म क्या होगा?
कुछ रिश्तेदार कहते हैं कि अगर अनाथ बच्चे को गोद लिया तो उस को हाथ तक नहीं लगाएंगे शायद मैं आपको बता दूं, यह वह लोग बोलते हैं जो बहुत दान धर्म करते हैं गरीबों में खाना बांटते हैं, बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जहां सच में पुण्य का काम करने को कहा गया तो साफ मना कर दिया. क्यों क्या यह बड़ी-बड़ी बातें सिर्फ बोलने के लिए ही होती है उन पर अमल भी किया जाता है?
ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि अगर वह अनाथ आश्रम से एक बच्चे को गोद लेंगे तो कितना पुण्य का काम होगा, लेकिन नहीं उनके दिमाग में तो यह रहता है कि यह हमारा खून नहीं है, बड़े होकर पता नहीं कैसा बनेगा, उन्हें अपनी परवरिश पर कोई विश्वास नहीं होता है, बच्चे तो भगवान के रूप होते हैं उन्हें जैसा पाठ पढ़ाओगे वह वैसा ही सीखेंगे, फिर चाहे खुद का बच्चा हो या अनाथ बच्चा हो, अगर आप की परवरिश अच्छी है तो अनाथ बच्चा भी आपका नाम रोशन कर सकता है. अगर अपनी परवरिश अच्छी नहीं है तो आपका खुद का बच्चा भी आप को लात मार कर चला जाएगा.
सारे बच्चे एक समान होते हैं कोई अपने माथे पर नहीं लिखवा कर आता है कि मैं अनाथ हूं. इसलिए अपनी सोच बदलिए एक नई सोच को जागृत कीजिए यह सोच कर कि बच्चे तो भगवान का रुप होते हैं. जिस दिन आपकी यह सोच अच्छी हो जाएगी, आप बच्चों में फर्क करना बंद कर देंगे, उस दिन एक बच्चे की किस्मत जाग जाएगी.
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